देवी दुर्गा के 1000 नाम : देवी सहस्रनाम का पाठ, देवी सहस्रनामावली

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    हवन की सामग्री के अनुसार उस फल की प्राप्ति होती है। सर्व कल्याण व कामना पूर्ति हेतु इन नामों से अर्चन करने का प्रयोग अत्यधिक प्रभावशाली है। जिसे सहस्त्रार्चन के नाम से जाना जाता है। सहस्त्रार्चन के लिए देवी की सहस्त्र नामावली निचे दी गयी है |

    इस नामावली के एक-एक नाम का उच्चारण करके देवी की प्रतिमा पर, उनके चित्र पर, उनके यंत्र पर या देवी का आह्वान किसी सुपारी पर करके प्रत्येक नाम के उच्चारण के पश्चात नमः बोलकर भी देवी की प्रिय वस्तु चढ़ाना चाहिए। जिस वस्तु से अर्चन करना हो वह शुद्ध, पवित्र, दोष रहित व एक हजार होना चाहिए।अर्चन में बिल्वपत्र, हल्दी, केसर या कुंकुम से रंग चावल, इलायची, लौंग, काजू, पिस्ता, बादाम, गुलाब के फूल की पंखुड़ी, मोगरे का फूल, चारौली, किसमिस, सिक्का आदि का प्रयोग शुभ व देवी को प्रिय है। यदि अर्चन एक से अधिक व्यक्ति एक साथ करें तो नाम का उच्चारण एक व्यक्ति को तथा अन्य व्यक्तियों को नमः का उच्चारण अवश्य करना चाहिए।अर्चन की सामग्री प्रत्येक नाम के पश्चात, प्रत्येक व्यक्ति को अर्पित करना चाहिए। अर्चन के पूर्व पुष्प, धूप, दीपक व नैवेद्य लगाना चाहिए। दीपक इस तरह होना चाहिए कि पूरी अर्चन प्रक्रिया तक प्रज्वलित रहे। अर्चनकर्ता को स्नानादि आदि से शुद्ध होकर धुले कपड़े पहनकर मौन रहकर अर्चन करना चाहिए।इस साधना काल में आसन पर बैठना चाहिए तथा पूर्ण होने के पूर्व उसका त्याग किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए। अर्चन के उपयोग में प्रयुक्त सामग्री अर्चन उपरांत किसी साधन, ब्राह्मण, मंदिर में देना चाहिए। कुंकुम से भी अर्चन किए जा सकते हैं। इसमें नमः के पश्चात बहुत थोड़ा कुंकुम देवी पर अनामिका-मध्यमा व अंगूठे का उपयोग करके चुटकी से चढ़ाना चाहिए।बाद में उस कुंकुम से स्वयं को या मित्र भक्तों को तिलक के लिए प्रसाद के रूप में दे सकते हैं। सहस्त्रार्चन नवरात्र काल में एक बार कम से कम अवश्य करना चाहिए। इस अर्चन में आपकी आराध्य देवी का अर्चन अधिक लाभकारी है। अर्चन प्रयोग बहुत प्रभावशाली, सात्विक व सिद्धिदायक होने से इसे पूर्ण श्रद्धा व विश्वास से करना चाहिए।

    1.महाविद्या
    ॐ महाविद्यायै नम:।
    2.जगन्माता
    ॐ जगन्मात्रे नम:।
    3.महालक्ष्मी
    ॐ महालक्ष्म्यै नम:।
    4.शिवप्रिया
    ॐ शिवप्रियायै नम:।
    5.विष्णुमाया
    ॐ विष्णुमायायै नम:।
    6.शुभा
    ॐ शुभायै नम:।
    7.शान्ता
    ॐ शान्तायै नम:।
    8.सिद्धा
    ॐ सिद्धायै नम:।
    9.सिद्धसरस्वती
    ॐ सिद्धसरस्वत्यै नम:।
    10.क्षमा
    ॐ क्षमायै नम:।
    11.कान्तिः
    ॐ कान्त्यै नम:।
    12.प्रभा
    ॐ प्रभायै नम:।
    13.ज्योत्स्ना
    ॐ ज्योत्स्नायै नम:।
    14.पार्वती
    ॐ पार्वत्यै नम:।
    15.सर्वमंंगला
    ॐ सर्वमंंगलायै नम:।
    16.हिंंगुला
    ॐ हिंंगुलायै नम:।
    17.चण्डिका
    ॐ चण्डिकायै नम:।
    18.दान्ता
    ॐ दान्तायै नम:।
    19.पद्मा
    ॐ पद्मायै नम:।
    20.लक्ष्मी
    ॐ लक्ष्म्यै नम:।